tag:blogger.com,1999:blog-39219682059842846512024-03-21T12:48:49.551-07:00नैनीताली और उत्तराखंड के मित्रये ब्लॉग प्रवासी उत्तराखंड के लोगो का ब्लॉग है, जो देश -विदेश के हिस्सों मे दुनियाभर मे बिखरे हुए है. एक बड़ा हिस्सा उन भूतपूर्व विधार्थियों का भी है, जो एक अलग सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत लिए उत्तराखंड के स्कूल- कोलेजो मे पढने आए और अपने बनने -बिगड़ने की जद्दोजहद मे चाहे आज कुछ भी बने हो, पर उनका मानस विशुद्द रूप से उत्तराखंड की संस्कृति से सरोबार है। इसमे जाती, धर्म, या संकुचित क्षेत्रीयता नही है, और जो भी उत्तराखंड के मित्र यहाँ आना चाहे ईमेल भेजे; nainitaali@gmail.comnainitaalihttp://www.blogger.com/profile/06923222490629292573noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-82935454845951233722012-08-12T11:36:00.002-07:002012-08-12T12:49:09.694-07:00निषिद्ध ज्ञान का भागी होने की निर्भयताः सुषमा नैथानी की कविताएं -शिवप्रसाद जोशी
सुषमा
नैथानी से जब पहली मुलाक़ात हुई थी तो वो विदेश में नौकरी कर रहीं और अपनी
जड़ों के सवालों से मुखातिब होने की चिंता से घिरी जान पड़ती थीं. बस इतना
ही. हम उनमें एक पहाड़ को समझने की इस कोशिश को कुछ हैरानी से देख रहे थे
कि जब वो लोगों से कैमरे पर बातचीत रिकॉर्ड कर रही थीं. हमें ये मामला
नोस्टालजिया जैसा लगता था या एक बौद्धिक फ़ितूर सा. लेकिन इसे फ़ितूर कहते
हुए हम इसे खारिज नहीं कर रहे nainitaalihttp://www.blogger.com/profile/06923222490629292573noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-16686604301288479282012-02-21T10:47:00.001-08:002012-02-21T10:53:18.501-08:00डा. विद्या सागर नौटियाल जी को श्रदांजलिखबर मिली आज डा. विद्या सागर नौटियाल नहीं रहे. ७९ वर्ष की आयु में बैंगलोर में उनका देहांत हो गया. डा. विद्या सागर नौटियाल जी का नाम कई सालों अलग अलग सन्दर्भों में सुनती रही. २०१० में मालूम हुआ डा. विद्या सागर नौटियाल देहरादून में रहते है, अगस्त में जब अपने माता-पिता के घर आयी तो उन्हें एक छोटी सी इमेल उन्हें लिखी कि "आपसे मिलने के लिए मुनासिब समय/दिन क्या हो स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-21430945559472843792011-05-22T12:23:00.001-07:002011-05-23T09:02:35.703-07:00नराई
गाढ़े कैनवस पर दूर तक खिंचती जाती है खुशी की रोशन लकीर
किसी संकरी गली के मुहाने से झांकती है उम्मीद
बहुत देर तक खाईयों बीच झूलता है एक पुल
धीमें कहीं गुपचुप बजता है एक राग- "पीलू"
जब तब सौंफ की महक उठती है ,
स्वाद उकेर देता है कोई स्मृति में
रह रह कर बारिश की बूंदे झरती हैं ,
हौले हौले अधूरा इन्द्रधनुष बनता है
जलतरंग के मोह में एक स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-67498114207716900632010-06-11T09:41:00.001-07:002010-06-11T09:44:49.516-07:00हिमालय के घाव---------------भूपेन सिंहप्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध उत्तराखंड धीरे-धीरे पारिस्थिक तौर पर खोखला बनता जा रहा है. ऐसा करने का काम जनता का कोई घोषित दुश्मन नहीं बल्कि चुनी हुई सरकारें कर रही है. राज्य को ऊर्जा प्रदेश बनाने का दावा करने वाली उत्तराखंड सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर वहां पर सैंकड़ों छोटी-बड़ी विद्युत परियोजनाएं शुरू की हैं. बांध बनाने के लिए पहाड़ों में सुरंग खोदकर नदियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का कामस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-81925475530049186452010-05-24T10:37:00.001-07:002010-05-24T10:38:47.787-07:00नैनीताल क्या नहीं...क्या क्या नहीं, यह भी...वह भी, यानी "सचमुच स्वर्ग"
`छोटी बिलायत´ हो या `नैनीताल´, हमेशा रही वैश्विक पहचान नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल कभी विश्व भर में अंग्रेजों के घर `छोटी बिलायत´ के रूप में जाना जाता था, और अब नैनीताल के रूप में भी इस नगर की वैश्विक पहचान है। इसका श्रेय केवल नगर की अतुलनीय, नयनाभिराम, अद्भुत, अलौकिक जैसे शब्दों से भी परे यहां की प्राकृतिक सुन्दरता को दिया जाऐ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पूरा पढें :&Unknownnoreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-32764701288833088382010-04-28T10:15:00.000-07:002010-04-28T10:15:51.050-07:00वो दिन ....ब्लॉग की सदस्यता तो बहुत दिन पहले ही ले ली थी परन्तु क्षमा चाहूँगा किन्ही कारणों वश अब तक नियमित रूप से आ नही पाया | आज सुषमा जी से बात हुई और उन्होंने फिर वो सब याद दिला दिया जो अक्सर हम अपनी ही आपाधापी में कहीं भूलने लगते हैं | इसी सन्दर्भ में कुछ दिनों पहले कुछ पंक्तियाँ लिख एक कविता बनाने का प्रयास किया था | आज फिर से ढूंढी और ब्लॉग पर पोस्ट कर रहा हूँ ......
चम्पावत में बीते अपने बचपन को Nipun Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/16960357101414101878noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-41046033209644388882010-04-04T09:06:00.000-07:002010-04-04T09:21:11.998-07:00भगत सिंह की याद मेंभगत सिंह की याद में: The link follows:"http://www.tribuneindia.com/2005/20050724/spectrum/book6.htm">Premhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-82066965080085699562010-03-27T08:27:00.000-07:002010-03-27T08:28:50.632-07:00चोर माल ले गएचोर माल ले गए लोटे थाल ले गए मूंग और मसूर कीसारी दाल ले गए|और हम खड़े खड़े खाट पर पड़े पड़े, सामने खुले हुए किवाड़ देखते रहे, ....कारवां गुज़र गया,गुबार देखते रहे!This is what Vineet Joshi said in 1983.Premhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-79565774908569375352010-02-18T22:53:00.001-08:002010-02-18T22:53:55.957-08:00निर्मल और नैनीतालआज शाम होते-होते कई पुराने दिनों के मित्र परिचित कुछ थोड़ी देर के बाद निर्मल पर लौट आये.निर्मल को कुछ बार नैनीताल में देखा, कुछ थोड़ी बहुत बातचीत, कुछ ८९-९० के बीच उनके कुछ नाटक (नैनीताल युगमंच द्वारा आयोजित) को देखने का मौक़ा मिला होगा। कभी गाहे बगाहे इन नाटको की टिकट भी बेची होंगी अपने हॉस्टल के दायरे में। फिर भी एक छोटे झीलवाले, रोमानी शहर में निर्मल के मायने, हमेशा कुछ ख़ास रहेंगे, भले ही स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-25180106057726018772010-02-18T08:25:00.001-08:002010-02-18T08:25:42.458-08:00Oh Nirmal pandey!अभी अभी स्टार न्यूज में देखा कि निर्मल पाण्डेय का अचानक हार्ट अटैक से देहांत हो गया है! मुझे विश्वाश नहीं होता.
http://infocera.com/Nirmal_Pandey_died_at_48_due_to_Massive_Heart_Stroke_in_Mumbai_8049.htm
मुझे अभी ब्रुक हिल के 4A /२ में उसकी नुक्कड़ नाटक के लिए देये निर्देश कान में गूँज रहे हैं. बुलंद आवाज, जबरदस्त शारीरिक बनावट, .....
ओह,
शांति, शांति, शांतिPremhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-12678526458811367292010-02-14T10:49:00.000-08:002010-02-14T10:51:16.840-08:00बूझे-अबूझे जीवन संसार एक अति उत्साहित छात्र मेरे छात्र दिनों के बाबत कुछ सवाल पूछने आता है, मैं उसे कुछ शहरों के कुछ स्कूल और विश्वविधालयों के नाम बताती हूँ, कुछ तस्वीरे दिखाती हूँ। फिर से अपनी स्टुडेंट लाईफ को याद करती हूँ, तो यही लगता है, कि जीवन का एक सान्द्र अनुभव था, खट्टा, मीठा, कड़वा और नमकीन। और बहुत से आयाम एक साथ लिए, बहुत सी संभावना के द्वार खोले कितनी दिशाओं में, वही उसका मूल्य था। उस तरह का बहुआयामी स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-46237950019080685172010-02-09T17:08:00.000-08:002010-02-16T07:13:48.803-08:00राह बस एकखोजते - खोजतेबीच की राहसब कुछ हुआ तबाह।बनी रहे टेकराह बस एक।siddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-33295586391435645002010-01-31T18:30:00.000-08:002010-01-31T18:33:45.121-08:00नैनीताल का पहला फिल्म फेस्टिवलnainitaalihttp://www.blogger.com/profile/06923222490629292573noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-82043799880262314972009-12-08T18:56:00.000-08:002009-12-08T18:57:35.224-08:00वीरेन डंगवाल के स्याही ताल से एक खुबसूरत कविता गंगा स्तवन - वीरेन डंगवाल (लीलाधर जगूड़ी, मंगलेश डबराल और सुंदरचंद ठाकुर के साथ, हरसिल-गंगोत्री के रस्ते पर) यह वन में नाचती एक किशोरी का एकांत उल्लास हैअपनी ही देह का कौतुक और भयवह जो झरने बहे चले आ रहे हैंहज़ारों-हज़ारहर क़दम उलझते-पुलझते कूदते-फाँदतेलिए अपने साथ अपने-अपने इलाक़े कीवनस्पतियों का रस और खनिज तत्वदरअसल उन्होंने ने ही बनाया है इसेदेवापगा गंग महरानी!***गंगा के जल में बनती हैहरसिलnainitaalihttp://www.blogger.com/profile/06923222490629292573noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-59148083403840769002009-12-03T09:10:00.000-08:002009-12-03T09:37:59.017-08:00रानीखेत से हिमालय: शिरीष कुमार मौर्यशिरीष के नए कविता संग्रह "पृथ्वी पर एक जगह" कुछ महीनो पहलेशिल्पायन प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। कुछ बेहतर कविताएं उनके ब्लॉग अनुनादपर भी पढी जा सकती है. इसी किताब में हिमालय के ऊपर एक बेहद सहज शब्दावली में बेटे से बातचीत के जरिये हिमालय को समझने की एक कवि की कोशिश है, जिसमे विज्ञान का भी मिथक की तरह इस्तेमाल है। फैक्ट्स, मिथक और जड़ो से जुड़ाव के संयोजन से निकली ये कविता शायद शिरीष के बस की ही nainitaalihttp://www.blogger.com/profile/06923222490629292573noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-85056795749123800322009-09-16T08:45:00.000-07:002009-09-16T08:46:05.547-07:00नैनीताल समाचार इन्टरनेट परhttp://nainitalsamachar.in/Premhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-66767063914537446182009-08-26T08:39:00.000-07:002009-08-26T08:45:54.678-07:00इस हफ्ते का सवालWHAT IS THE FOLLOWING?SHAKUNADE SHAKUNADE KAZAYE, AATI NIIKA SHAKUNAM BOLYA DAINA, BAZAN SHANKH......Premhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-19407673009266938922009-08-10T09:59:00.000-07:002009-08-10T10:11:37.811-07:00कुछ तस्वीरे हवाई कीहवाई मे बीत १० दिनों के बारे मे लिखने का मन है। कई चीजे एक साथ थी, अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ प्लांट बायोलोजी की मीटिंग मे अचानक जे सी बोस पर एक पोस्टर, पुराने दोस्तों, सहपाठियों से मुलाक़ात, और खासकर उनके बच्चों से, और बालकोनी से झांकता समंदर, और कई चीजों के घालमेल मे डूबे १० दिन। फिलहाल कुछ तस्वीरे.स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-22728951840265688802009-07-14T21:02:00.000-07:002009-07-14T21:07:00.323-07:00FellowshipsI found following sites, which may be useful for the students, academicians in the country. 1. http://www.scholarshipsinindia.com/awards_competitions_in_india.html2. http://www.ucost.in/sciencecongress.htmlbest wishes, PremPremhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-53313224017631260752009-05-11T19:17:00.000-07:002009-05-11T19:23:58.317-07:00पंडित छन्नूलाल मिश्र के दिव्य स्वर में दिगंबर होलीभाई प्रेम ने पंडित छन्नूलाल मिश्र की दिगंबर होली का ज़िक्र किया तो मैंने 'रेडियोवाणी' पर इसके आडियो का लिंक टिप्पणी में दे दिया , स्वप्नदर्शी का सुझाव है कि मैं आडियो यहीं क्यों न लगा दूँ। इन दोनो मित्रों के सानिध्य में इस तीसरे नैनीताली को आलसीपने के लगभग स्थायी भाव को त्यागना ही पड़ा. तो आइए सुनते है पंडित छन्नूलाल मिश्र के दिव्य स्वर में दिगंबर होली... siddheshwar singhhttp://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-49993910985354488482009-05-11T06:53:00.000-07:002009-05-11T07:04:19.968-07:00होली (शिव जी की)ये होली पंडित मिश्रा के स्वर में सुनी थी बहुत साल पहले, सीधे बनारस से लाइव:पेश है:--------------------------------------------------खेलैं मसाने में होरी दिगंबर खेले मसाने में होरीभूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी.लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के,चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी.गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनाऊ बाधाना साजन ना गोरी, ना साजन ना Premhttp://www.blogger.com/profile/06782585697431617884noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-86795461678618350322009-05-06T13:53:00.001-07:002009-05-06T13:53:39.153-07:00बारिश मे गुजरते हुएबारिश और बारिशधुंध और कोहरे के दिनबहुत पुराना रिश्ता हैधुंध, कोहरे और बारिश से मेरा बारिश मे ये शहर एक शहर नही रहता समय और काल के पार घुलमिल जाता है कई दूसरे शहरो से .....................कभी बारिश मे गुजरते हुएकई बारिशो की याद युं उठ आती है अचानकजैसे पहली बारिश के बादउठ आती थी मिट्टी की खुशबूसील जाती थी माचीस की तीलीऔर बंद पड़े डिब्बे मे चीनी .....या सर उठाती है इच्छा गरमागरम चाय कीया स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-30182971676563779722009-03-11T13:26:00.000-07:002009-03-11T13:27:16.417-07:00होली मुबारकस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-84928455910428687552008-12-25T10:35:00.000-08:002008-12-25T10:36:39.318-08:00नववर्ष की शुभकामनायेOur wish this Holiday Season ... A world to grow in where children will be safe and free. The gift of love. The gift of peace. The gift of happiness. May all these be yours at Christmas. The year end brings no greater pleasure then the opportunity to express to you season's greetings and good wishes. May your holidays and new year be filled with joy.स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-3921968205984284651.post-70038739397157960962008-11-23T08:46:00.000-08:002008-11-23T08:54:50.986-08:00दोस्त (योगेश पांथरी को समर्पित)वे आएआठ-दस एक जीप में लदकर दूर गाँव सेऔर तनकर बैठे रहे कुर्सियों पर मेरे सामनेमुझ तक पहुँच कर भी कोई चीज़ रोकती रही उन्हेंमुझ तक पहुँचने सेउन्होंने कुछ बातें कीथोड़ा हँसेमेरी पत्नी और बच्चे से वे पहली बार मिलेढलती शाम वे पहुंचे थेऔर मैं लगभग निरूपाय था उनके आगेथोड़ा शर्मिन्दा भीघर में नहीं थी इतनी जगहयह एक मशहूर पहाड़ी शहर थामैं उन्हें बाहर ले गयाजाते हुएपत्नी ने कुछ पैसे शिरीष कुमार मौर्यhttp://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.com4