क्या आप कभी नैनिताल गये हैं?, अगर गये हैं तो माल रोड में तो जरूर घूमे होंगे क्योंकि उसमें चले बिना तो आप नैनीताल घूम ही नही सकते। सर्दी हो या बरसात और चाहे गर्मी, मौसम कोई सा भी क्यूँ ना हो माल रोड में गलबहियां (मेरा मतलब एक दूसरे के गले में बाहें डालने से है) डाले जवान जोड़े जरूर दिख जायेंगे। साथ में तल्लीताल से मल्लीताल या मल्लीताल से तल्लीताल भागते रिक्शे भी दिखेंगे, इन रिक्शों की सवारी का भी अपना अलग आनंद हैं। ताल में डोलती कम से कम इक्की-दूक्की नावें भी किसी ना किसी सिजन (मौसम) में जरूर दिख जायेंगी।
लेकिन एक चीज ऐसी भी है जो हर वक्त नसीब नही, चांस की बात है। किसी किसी को ही ये दिखायी और सुनायी देता है। कल्पना कीजिये ताल के किनारे मल्लीताल की रोड की किसी बैंच पर आप बैठे हों, साथ में खुबसूरत प्रकृति के नजारे का आनंद ले रहे हो और फिर अचानक कान में हल्के हल्के कोई धुन सुनायी देने लगे, क्या शमा होगा वो भी। धीरे धीरे धुन तेज होती जाये और फिर सामने से रंग बिरंगे कपड़ों में वो धुन बजाते गुजरे कुछ लोकल छोलिया नृतक या कोई लोकल बरात या कोई देवता की डोली। ये नजारा हर वक्त देखने को नही मिलता लेकिन उन छोलिया नृतकों की माल रोड पर जाते और मधुर धुन बजाते एक झलक आप यहाँ जब चाहे आकर देख सकते हैं।
लेकिन एक चीज ऐसी भी है जो हर वक्त नसीब नही, चांस की बात है। किसी किसी को ही ये दिखायी और सुनायी देता है। कल्पना कीजिये ताल के किनारे मल्लीताल की रोड की किसी बैंच पर आप बैठे हों, साथ में खुबसूरत प्रकृति के नजारे का आनंद ले रहे हो और फिर अचानक कान में हल्के हल्के कोई धुन सुनायी देने लगे, क्या शमा होगा वो भी। धीरे धीरे धुन तेज होती जाये और फिर सामने से रंग बिरंगे कपड़ों में वो धुन बजाते गुजरे कुछ लोकल छोलिया नृतक या कोई लोकल बरात या कोई देवता की डोली। ये नजारा हर वक्त देखने को नही मिलता लेकिन उन छोलिया नृतकों की माल रोड पर जाते और मधुर धुन बजाते एक झलक आप यहाँ जब चाहे आकर देख सकते हैं।