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भाई प्रेम ने पंडित छन्नूलाल मिश्र की दिगंबर होली का ज़िक्र किया तो मैंने 'रेडियोवाणी' पर इसके आडियो का लिंक टिप्पणी में दे दिया , स्वप्नदर्शी का सुझाव है कि मैं आडियो यहीं क्यों न लगा दूँ। इन दोनो मित्रों के सानिध्य में इस तीसरे नैनीताली को आलसीपने के लगभग स्थायी भाव को त्यागना ही पड़ा. तो आइए सुनते है पंडित छन्नूलाल मिश्र के दिव्य स्वर में दिगंबर होली...
4 comments:
बहुत बढ़िया जवाहिर चा ! अशोक दा के दिए अकूत संगीत में ये भी है मेरे पास और मैं खुद स्वप्नदर्शी जी की टिप्पणी के बाद इसे लगाने का इरादा कर रहा था. आपने मज़े कर दिए !
बहुत सुंदर, धन्यवाद भाई .
I know there is a variation of this song by Pandit Mishra (in which he also explains it while singing). Can that 'version' also be uploaded?
Prem
जरूर हो सकता है भाई प्रेम ! लेकिन वह मेरे संग्रह में है नहीं आप स्वयं कोशिश करें नहीं तो इस नाचीज को मेल कर दें, काम हो जायेगा. मैं ब्रुकहिल वासियों के पसंदीदा संगीत को भी पोस्ट करने की सोच रहा हूँ.
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